ये है बिहार के लखीसराय जिले में श्रृंगी ऋषि धाम आश्रम, मान्यता के अनुसार यहीं पर पुत्र प्राप्ति के लिए राजा दशरथ ने यज्ञ किया था और भगवान राम समेत सभी पुत्रों का मुंडन संस्कार भी कराया…,
साभार: Sunil Abhimanyu

ये है बिहार के लखीसराय जिले में श्रृंगी ऋषि धाम आश्रम, मान्यता के अनुसार यहीं पुत्र प्राप्ति के लिए राजा दशरथ ने यज्ञ किया था और भगवान राम सहित चारों पुत्र लक्ष्मण, शत्रुघ्न और भरत के अवतरित होने के बाद उन चारों का मुंडन संस्कार भी यहीं कराया था, श्रृंगी ऋषि की पहाड़ियां, झरने और कुंड आकर्षण का केंद्र है, शहर से 23 किलोमीटर दूर सूर्यगढ़ा प्रखंड में पहाड़ों के बीच श्रृंगी ऋषि धाम स्थित है, सफर में पहाड़ की चट्टानें शंकु आकार में मिलेंगी, मंदिर पहुंचने पर वहां पहाड़ का ऊपरी हिस्सा आगे की ओर झुका है, जो भयावह के साथ ही वहां की खुबसूरती को और बढ़ाता है…!

मान्यता है कि राजा दशरथ को पुत्र नहीं होने पर उन्होंने यहां आकर ऋषि विभांडक के पुत्र ऋषि श्रृंग को अपनी परेशानी बताई, इसके बाद ऋषि श्रृंग की तपस्या से अग्निदेवता खीर का कटोरा लेकर प्रकट हुए और उसी खीर को राजा की तीनों रानियों को खिलाया…!

राम, लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न के अवतरित होने के बाद गुरु वशिष्ठ ने चारों राजकुमारों का नामांकरण किया, लेकिन मुंडन कार्य इसी श्रृंगी ऋषि धाम में हुआ था,बश्रृंगि ऋषि के यहां आकर बसने के पीछे भी कई किवंदंतियां हैं…!

कहा जाता है कि अंग प्रदेश के राजा रोमपाद के शाषणकाल में यहां अकाल पड़ने पर गुरु वशिष्ठ की सलाह पर लखिया नाम की एक वेश्या ने श्रृंगि ऋषि को यहां लाने कि ठानी और साधु के वेश में उन्हें अपनी ओर आकर्षित कर यहां साथ ले आयी, कहा जाता है कि ऋषि श्रृंग के आगमन से ही यहां सुकाल भी आया…!

मंदिर के पंडित पंकज झा ने बताया कि राजा रोमपाद ने अपनी दत्तक पुत्री शांता, जो राजा दशरथ से गोद ली थी, उनसे ऋषि श्रृंग का विवाह रचाया, ऋषि श्रृंग के विवाह के बाद ऋषि विभांडक को आशीर्वाद के लिए बुलाया गया, इस स्थल का नाम श्रृंगी ऋषि धाम कहलाया, यहां पहाड़ों से बहने वाली धारा को त्रिपद कामिनी सप्तधारा पातालगंगा कहा जाता है …!
साभार: हिंदुस्तान