Thursday, June 19, 2025
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प्रभु श्रीराम, रामायण तथा श्रृंगवेरपुर …,

प्रभु श्रीराम, रामायण तथा श्रृंगवेरपुर
(प्रयागराज महाकुंभ 2025 के दौरान दिव्य दर्शन लाभ लेवे)

श्रृंगवेरपुर
प्रयागराज (u.p.) से 45 किलोमीटर दूर लखनऊ हाईवे पर मंसूराबाद कस्बे से थोड़ा दूर रोड के दाएं तरफ प्रतापगढ़ जाने का गेट बना हुआ है, वही सड़क के बाएं तरफ श्रृंगवेरपुर धाम जाने का बड़ा गेट बना हुआ है, इस गेट में प्रवेश करते हुए 4 किलोमीटर यात्रा करने पर गंगा के किनारे प्रभु श्रीराम से जुड़ा हुआ यह पौराणिक पवित्र स्थल स्थित है …!

बाल्मीकि रामायण के अनुसार प्रभु श्रीराम ने अपनी वनवासी यात्रा यहीं से शुरू की थी, इसके प्रमाण आज भी यहां पर विद्यमान है …!

श्रृंगी ऋषि की तपस्थली होने के कारण इस स्थान का उन्हीं के नाम पर श्रृंगवेरपुर हुआ माना जाता है, यँहा पर प्रभु श्रीराम के बाल सखा निषाद राज गुहय का शासन था, प्रभु श्रीराम यहीं पर रथ पर सवार होकर आए और यहीं से रथ तथा राजसी वस्त्र आदि का त्याग किया गया था …!

वर्तमान रामचौरा घाट पर शीशम के वृक्ष के नीचे कुस की सैया पर प्रथम रात्रि व्यतीत की थी, जिसका प्रतिरूप आज भी विद्यमान है, दर्शन कर सकते हैं तथा प्रातः काल प्रभु के अनन्य भक्त केवट द्वारा यहीं से गंगा पार करवाई गई थी, जहां पर आज भी केवट का मंदिर बना हुआ है …!

श्रृंगवेरपुर में मां गंगा के किनारे पांच प्रमुख घाट है, जिसमें से तीन प्रमुख घाट श्रृंगी ऋषि से संबंधित है, 1977 तथा 1978 में विख्यात पुरातत्व विद डॉक्टर B. लाल के नेतृत्व में श्रृंगी ऋषि मंदिर से थोड़ी दूरी पर निषाद राज के टिले पर खुदाई की गई जिसके दौरान श्रृंगी ऋषि मंदिर के अवशेष, गंगा जल शुद्धीकरण का प्लांट, किले के अवशेष तथा अनेक पुरातात्विक महत्व की सामग्री प्राप्त हुई है, जिसे वैज्ञानिक आकलन करने पर लगभग 3ooo वर्ष पूर्व अवधि का होना पाया गया है …!

रामायण सर्किट में इस स्थान को सरकार द्वारा शामिल कर इसके संपूर्ण विकास की योजना बनाकर क्रियान्वयन शुरू कर दिया है, अयोध्या धाम की तर्ज पर ही इस स्थान का विकास किया जा रहा है, निषाद राज पार्क में प्रभु श्रीराम तथा निषाद राज की विशाल मूर्ति लगाई गई है, जो दूर से ही दिखाई दे रही है तथा पार्क में माता सीता, लक्ष्मण, श्रृंगी ऋषि तथा माता शांताजी की मूर्तियां भी स्थापित की जानी है …!

श्रृंगी ऋषि से संबंधित प्रमुख स्थल:

1. माता शांता श्रृंगी ऋषि मंदिर (संतान तीर्थ)
राम घाट पर मां गंगा के किनारे सुंदर मंदिर बना हुआ है, सीढ़ियों पर चढ़ने के पश्चात श्रृंगी ऋषि तथा माता शांताजी के दिव्य दर्शन होते हैं, इस क्षेत्र में माता शांताजी को आनंदमई मां भी कहते हैं, आज भी हजारों श्रद्धालुओं का यँहा आना जाना लगा रहता है, श्रृंगवेरपुर में संपन्न होने वाले प्रमुख आयोजन की शुरुआत इसी मंदिर में माता शांताजी तथा श्रृंगी ऋषि महाराज की पूजा अर्चना के पश्चात ही शुरू होती है, मंदिर की सीढ़ियों से माँ गंगा की तरफ बांस से बने हुए अस्थाई मचानों पर पंडित बैठकर स्वर्गवासी पूर्वजों के अस्थि विसर्जन तथा श्राद्ध आदि कर्म करवाते हैं, इस स्थान का महात्मय हरिद्वार तथा गया जी के समान ही माना जाता है …!

2. श्रृंगेश्वर महादेव मंदिर
श्रृंगी ऋषि मंदिर की सीढीयौ के दाहिनी तरफ पवित्र शिव मंदिर बना हुआ है, ऐसी मान्यता है कि गंगा स्नान पश्चात श्रृंगी ऋषि द्वारा महादेव की पूजा यहीं पर की जाती थी, आज भी यँहा पर भक्तों द्वारा पूजा अर्चना यथावत की जा रही हैं …!

3. श्रृंगी ऋषि गुफा
गऊघाट पर अति महत्वपूर्ण एक गुफा निर्मित है, पास में एक मंदिर भी बना हुआ है, जिसके पुजारी महंत जय रामदास उर्फ सीताराम दासजी द्वारा पिछले 33 वर्षों से यँहा पर साधना की जा रही है, त्रेता युग में यहां पर विशाल गौशाला थी जिसके कारण इस घाट का नाम “गौऊ घाट” पड़ गया था …!

गुफा में पिछले 33 वर्ष से अनवरत ज्योति जल रही है, गुफा द्वार पर श्रृंगी ऋषि गुफा अंकित है प्रत्येक दिन यहां पर सीताराम धुन हो रही है, शाम को भक्तों का भोजन प्रसाद होता है, वर्ष के प्रत्येक दिन प्रसाद हेतु स्वयं-सेवी 365 दिन श्रद्धालु भक्तों द्वारा अपने अपने आवंटित दिवस के क्रमानुसार नि:शुल्क प्रसाद उपलब्ध करवाया जाता है, महंत जयराम दासजी ने बताया कि इस स्थान पर श्रृंगी ऋषि द्वारा 10000 वर्षों तक तपस्या की गई थी, वर्तमान में इस स्थान से थोड़ी दूरी पर अयोध्या धाम से चित्रकूट राम वन गमन पथ योजना के तहत गंगा नदी पर पुल का निर्माण किया जा रहा है, इसके निर्मित होने पर चित्रकूट की पहुँच बहुत सुगम हो जाएगी …!

4. ऋषि तलैया
महान तपस्वी श्रृंगी ऋषि की यह यज्ञास्थली रही है, यँहा पर पुत्र कामना यज्ञ से भिन्न मानव कल्याण हेतु श्रृंगी ऋषि द्वारा विशाल महायज्ञ का आयोजन किया गया था, राष्ट्रीय रामायण मेला आयोजन समिति के महामंत्री आदरणीय उमेशजी ने बताया कि प्रत्येक वर्ष चैत्र शुक्ल पक्ष की अष्टमी को यँहा हवन की परंपरा आज भी जीवित है …!

राम वन गमन पथ के निर्माण की जद में यह तलैया होने से इसके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है, इस पौराणिक स्थल को बचाया जाना बहुत आवश्यक है …!

5. विभांडक ऋषि आश्रम
श्रृंगी ऋषि आश्रम से डेढ़ किलोमीटर दूर गंगा के किनारे बहुत सुंदर यह आश्रम बना हुआ है, आश्रम के पास ही गंगा नदी में विभांडक कुंड बना हुआ है ,जहां अथाह जल राशि होने के कारण इसको महाहृद कहा जाता है, इसमें स्नान करने से बहुत पुण्य की प्राप्ति होती है …!

जँहा एक और प्रयागराज को धार्मिक स्थल के रूप में माना जाता है, वहीं दूसरी ओर यह आश्रम विख्यात कठोर तप स्थल के रूप में जाना जाता है …!

शिवराज शर्मा, मोटरास
ऋषि श्रृंग एक खोज अभियान के तहत (रजिस्टर्ड ट्रस्ट)
मोबाइल नंबर 96729 86186

#ऋष्यश्रृंगएकखोज RISHI SHRING EK KHOJ

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