बोडीनायकनूर पलयापट्टू…,

पश्चिमी घाट के नीलगिरी हिल्स मैं तमिलनाडु के थेनी जिले के अंदर एक नगर पालिका शहर है, जो जिला मुख्यालय से मात्र 16 किलोमीटर दूरी पर है, इस शहर को कार्डोमोम सिटी आफ इंडिया कहते हैं, इसके अलावा इस शहर में चाय, कॉफी, रेशम , काली मिर्च तथा मसाले का बहुत व्यापार होता है…!
अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य: शांतिपूर्ण वातावरण, कल -कल करते हुए झरने और ऊंचे पहाड़ों से युक्त भूभाग को देखकर भारत के पूर्व प्रधानमंत्री महोदय पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इस स्थान को “दक्षिण का कश्मीर” कहा है …!
बॉडी अर्थात (बोडी नायक नूर) के जमींदार का महल…,

यँहा के जमींदार आदरणीय बंगारू तिरुमलाई बॉडी नायक द्वारा एक सुंदर महल 800 वर्ष पूर्व बनाया गया, इस महल की आकृति जोधपुर के मेहरानगढ़ फोर्ट से लगभग मिलती-जुलती है, इस महल “लक्ष्मी विलास भवन” के दरबार हाल के दो प्रमुख कमरों में वर्ष 1849 में रामायण कथा से संबंधित मुरल पेंटिंग अर्थात मिनिएचर पेंटिंग अंकित करवाई गई, जिसमें अन्य चित्रों के अलावा (1) अंग नरेश के दरबार में श्रृंगी ऋष्य का स्वागत तथा उनकी दत्तक पुत्री शांता जी का उनसे विवाह तथा (2) दूसरा प्रमुख चित्र महाराज दशरथ के लिए पुत्र कामना यज्ञ, इसके प्रधान आचार्य श्रृंगी ऋषि तथा माता शांता जी थे का अवलोकन दर्शकों को भाव विभोर कर देता हैं…!

श्रृंगी ऋषि के वंशज:
बोडीनायकनूर शहर के जमींदार अपने आप को ऋषि कलाईकोट्टू मुनिवर (Risi with Horn) अर्थात “श्रृंगी ऋष्य” की परंपरा के वंशज कहते हैं, जो तुंगभद्र नदी के उत्तर में तेलंगाना से विभिन्न कालखंड में स्थानांतरित होकर यँहा तक पहुंचे हैं, यहां के जमींदार “कम्बलम नायकर” समुदाय से संबंधित है, यह विशेष रूप से दक्षिण भारत में व्यापक नायकर समुदाय के भीतर 9 उपजातियां में से एक उप-जाति है, यह समुदाय तमिलनाडु में तेलुगु भाषाइ समुदाय के रूप में जाना जाता है, जो अलाउद्दीन खिलजी के समय 13वीं शताब्दी में मुसलमानो से दु:खी होकर तुंगभद्र नदी के उत्तर “campillo kingdom” से विजयनगर साम्राज्य मे स्थानांतरित हुए तथा वहां अपनी योग्यता के बल पर वै मिलिट्री कमांडर “नायक” के रूप में विख्यात हुए, वँहा से फिर तमिलनाडु के मदुरई क्षेत्र जकंमपट्टी उसके पश्चात सिल्वर पट्टि तथा अंत में तमिलनाडु के थेनी जिले के बोडीनायकनूर में बस गए…!

नायकर समुदाय:
(राजकम्बलम नायकर/कम्बलतार:)
यह विशिष्ट समूह जिसे कम्बलटार के नाम से भी जाना जाता है, बड़े नायकर समुदाय के भीतर एक समुदाय है इस समूह में वे लोग शामिल हैं जो कापू, कोल्ला, कम्मास हैं और जो लोग नायडू, नायकर, रेड्डी, राव, रायर, चेट्टी, उदयार, रायुडू जैसे जाति शीर्षक का उपयोग करते हैं…!
निवास क्षेत्र:
नायकर श्रीलंका के कैंडी सहित भारत के तमिलनाडु आंध्र प्रदेश तथा तेलंगाना राज्य के विभिन्न क्षेत्रों में पाए जाते हैं, जिनमें नमक्कल, तिरुप्पुर, कोयंबटूर, सेलम, इरोड, करूर, विरुधुनगर, मदुरै, डिंडीगुल, थेनी, रामनाथपुरम, तूतीकोरिन, चेंगलपेट, तंजावुर, चेन्नई, तिरुवल्लूर, कांचीपुरम, वेल्लोर, कृष्णागिरी, वेदानथंगल और पेरियाकुट्टलाई जैसे क्षेत्र प्रमुख हैं…!
नायकम समुदाय का प्रमुख व्यावसाय कृषि तथा पशुपालन है, इनमें से अपवाद स्वरूप कभी-कभी राजा महाराजा तथा जमींदार भी रहे हैं…!
वर्तमान में इस समुदाय को तमिलनाडु में “मोस्ट बैकवर्ड कम्युनिटी” के रूप में जाना जाता है, परंतु जनसंख्या अधिक होने से तमिलनाडु की राजनीति में यह समुदाय निर्णायक प्रमुख दबाव समूह के रूप में जाना जाता है…!
यह शोध का विषय है: आप किसी महानुभाव को इससे संबंधित कोई जानकारी हो तो उपलब्ध कराना सादर प्रार्थनीय है…!
शिवराज शर्मा, मोटरास,
ऋषि श्रृंग एक खोज अभियान के तहत(रजिस्टर्ड ट्रस्ट)
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I am a old sukhwal male of 75 years. Lives in udaipur Rajasthan
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