Friday, June 20, 2025
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कब है शनि अमावस्या 28 या 29 मार्च, जानें पितृदोष मुक्ति के लिए इस दिन क्या करना चाहिए…,

Articles: वैसे तो अमावस्या तिथि हर महीने आती है, लेकिन शनि अमावस्या अमावस्याओं में स​बसे खास होती है, यदि आप भी शनि की साढ़े साती और ढैय्या से पीड़ित हैं या पितृ दोष मुक्ति के लिए उपाय करना चाहते हैं, तो चलिए हम आपको बताते हैं कि शनि अमावस्या कब है 28 या 29 मार्च…?

हिंदू पंचांग के अनुसार, चैत्र अमावस्या तिथि की शुरुआत 28 मार्च 2025 को रात 07 बजकर 55 मिनट पर होगी, वहीं इसकी समाप्ति अगले दिन यानी 29 मार्च 2025 को शाम 04 बजकर 27 मिनट पर होगी, पंचांग को देखते हुए इस साल चैत्र अमावस्या का पर्व 29 मार्च को ही मनाया जाएगा…!

जानें पितृदोष मुक्ति के लिए इस दिन क्या करना चाहिए…,

शनि अमावस्या कब आती है…?

वैसे तो अमावस्या तो हर महीने आती है, महीनें में पंद्रह-पंद्रह दिन के दो भाग होते हैं, कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष, पहले दिन के बाद पूर्णिमा और दूसरे 15 दिन की समाप्ति पर अमावस्या आती है, जब ये अमावस्या  शनिवार के दिन होती है तो उसे शनि अमावस्या या शनिचरी अमावस्या कहते हैं…!

पितृदोष से मुक्ति के​ लिए अमावस्या के उपाय:

अगर आप पितृदोष से पीड़ित हैं तो आपको इस अमावस पर कुछ खास उपाय जरूर करने चाहिए, आपको बता दें ये अमावस्या पितृ पक्ष से पहले आती है, इस दिन दान-पुण्य करना, तर्पण व पिंडदान आदि कार्य करना बेहद ही शुभ माने जाते हैं, मान्यता है कि यह दिन पितृ दोष, काल सर्प दोष से मुक्ति के लिए खास होता है, अमावस्या चूंकि शनिवार के दिन आई है इसलिए इसे शनिश्चरी अमावस्या कहा जाता है…!

इतनी होती है शनि की चाल:

आपको बता दें शनि की साढ़े साती, शनि की ढ़ैय्या आदि शनि दोष से पीड़ित जातकों के लिये ये दिन महत्व का है, शनि राशिचक्र की दसवीं व ग्यारहवी राशि मकर और कुंभ के अधिपति हैं, आपको बता दें शास्त्रों के अनुसार एक राशि में शनि लगभग 18 महीने रहते हैं, शनि की महादशा का काल 19 साल होता है, शनि न्याय के देवता हैं, जो लोगों को उनके कर्म के अनुसार फल देते है, मान्यता अनुसार सूर्य पुत्र शनिदेव का ज्येष्ठ माह की अमावस्या को सूर्यदेव एवं छाया (सवर्णा) की संतान के रूप में शनि का जन्म हुआ…!

विशेष उपाय:

शनि मंदिर में सरसों के तेल का दिया जलाएं…!

“ओम शम शनैश्चराय नमः” का अपने सामर्थ्यानुसार एक माला, तीन माला, पांच माला जाप करें…!

गरीबों को साबुत उड़द का दान करें, अपने पितरों के निमित्त दूध और सफ़ेद मिठाई मंदिर में ब्राहृमण को दें, जरूरतमंद और बुजुर्गों को भोजन सामग्री, वस्त्र आदि दान करें, श्रीहनुमान चालीसा का पाठ करें…!

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