!! 🚩श्रुतम्-1568🚩 !!
युगाब्द ५१२६ वि.सं २०८१ फाल्गुन मास कृष्ण पक्ष नवमी शनिवार 22 फरवरी 2025 आज का दिन आप सभी के लिए सुखमय मंगलमय हो…!🕉
भारत की महान् सांस्कृतिक परंपराएं एवं विरासत – 28
कुंभ मेले का विकास:
कुंभ मेले की ऐतिहासिक उत्पत्ति एक हज़ार वर्ष से भी अधिक पुरानी है, हालाँकि यह संभवतः किसी न किसी रूप में इससे भी पहले मनाया जाता था, प्राचीन भारत में इस उत्सव को तीर्थयात्रा, अनुष्ठानिक स्नान और आध्यात्मिक कायाकल्प के अवसर के रूप में प्रमुखता मिली…!
ऐसा माना जाता है कि इतिहास में पहला कुंभ मेला गुप्त राजवंश (लगभग चौथी से छठी शताब्दी ई.) के शासनकाल के दौरान आयोजित हुआ था, जो भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक गतिविधियों के उत्कर्ष का समय था…!
सदियों से कुंभ मेला विभिन्न सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक प्रभावों को सम्मिलित करते हुए विकसित होता रहा है, यह न केवल हिंदुओं के लिए बल्कि व्यापक जनसँख्या के लिए एक महत्वपूर्ण आयोजन बन गया है, जो भारत के भीतर विविध समुदायों और परंपराओं की एकता को संदर्शित करता है…!
कुंभ मेले की चिरस्थायी परंपरा ऋषियों और मुनियों द्वारा स्थापित प्राचीन प्रथाओं का ही परिणाम है, जिन्होंने इन आध्यात्मिक समागमों की नींव रखी, उनकी बुद्धि और शिक्षाएं आज भी इस उत्सव की प्रथाओं को बलवती करती हैं, क्योंकि लाखों भक्त श्रद्धा व विश्वासपूर्वक पवित्रता और भक्तिभाव से एकत्रित होते हैं…!
👏🪷🚩🌹🙏🌹🚩🪷👏