कल रात परिवार के साथ सिनेमा देखते समय एक बच्चें ने एक अद्भुत सवाल किया, कि अधिकतर सिनेमा में या वेब सिरीज़ में एक किरदार को बार-बार गाड़ियों की नंबर प्लेट क्यूँ बदलनी पड़ती हैं…?
दूसरे बच्चे का जवाब मैंने ध्यान से सुना, वो उस नन्हे बालक को बड़े ही विस्तार से समझा रहा था, सिनेमा या वेब सीरीज में जो ऐसे किरदार होते हैं, वो हेराफेरी के कार्य में महारथ रखते हैं, और वर्षों से ऐसे कार्य करते आ रहें हैं, इन्हें जब भी कोई नया आइडिया दिमाग में आता हैं, तो एक आदेश जारी कर सबसे पहले गाड़ियों की नंबर प्लेट बदली जाती हैं, ताकि किसी भी तरह से गिरफ्त में न आ सकें, हर एक कारनामें के बाद गाड़ियों पर नई नंबर प्लेट लगाने का इनका यह अनुभव बहुत ही पुराना होता हैं, किसी कारणवश कोई गाड़ी पकड़ी जाती है, तो पकड़ने वालों को भी अपने साथ मिला लेते हैं, या कोई गाड़ी बीच रास्ते में अड़ जाय तो उसे अलग-अलग पुर्जों में बिखेर कर भंगार में बेच दी जाती हैं, ताकि नंबर प्लेट बदलने का आदेश देने वाले सुरक्षित रह सकें…!
अविष्कार जरूरत की जननी के नियमानुसार समय के साथ कार्यप्रणाली में बदलाव होना जरूरी हैं, इसीलिये गाड़ियों की नंबर प्लेट प्रत्येक एक कार्यक्रम के बाद बदलना जरूरी हो जाता हैं…!
बच्चे की अंत में कही गयी बात बहुत ही लाजवाब थी, उसने कहा कि खेद इस बात का है कि इस डिजिटल जमाने में आधुनिक तकनीक की टॉप मॉडल की गाड़ियों की नंबर प्लेट भी तकनीशियन इतनी सफाई से बदल रहें हैं कि उन गाड़ियों के निर्माणकर्ताओं की उन्नत तकनीक भी उनके आगे मात खा रही हैं, परमात्मा से निवेदन हैं कि यदि किसी भी समाज में ऐसे शातिर दिमाग लोग हो जो केवल नंबर प्लेट बदल कर हेराफेरी को बड़ी सहजता से अंजाम दे देते हैं, ऐसे समाज के तकनीशियनों का कर्तव्य बनता हैं कि महंगी गाड़ियों को समय पर उनकी उच्च तकनीक का आभास करवाएं और उनके द्वारा गलत तरीके से की जा रही मदद से सामाजिक विघटन को बचाये, अन्यथा भविष्य में वाहन निर्माताओं पर से भी जनता का विश्वास उठ जाने की प्रबल संभावना हैं…!
उपरोक्त कथानक से यह ज्ञान मिलता हैं कि किसी भी सामाजिक संगठन द्वारा नित्य-प्रतिदिन फर्जी पदों की घोषणा करना, चंदा वसूल करना मगर हिसाब सार्वजनिक नही करना, नोटंकी करना, संगठन के फर्जी पदाधिकारियों द्वारा अपने ही समाज के लोगों पर अनर्गल कीचड़ उछालना, फर्जी सिम कार्ड तथा फर्जी नामों से आई डी बना कर अभद्रता करना, यह सभी नंबर प्लेट बदल कर गाड़ी चलाने जैसी हरकतें ही मानी जानी चाहिए…!
सुरेश कुमार व्यास “जानम”
सामाजिक विश्लेषक