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संत समागम हरि कथा, तुलसी दुर्लभ दोय ।
सुत धारा धन लक्ष्मी, पापी घर भी होय ।।
संत शिरोमणि तुलसीदास जी ने कहा हैं की कलयुग में दो चीजें सबसे विकट है, एक पूर्ण संत का सत्संग और दूसरा परमात्मा का भजन धर्म कि चर्चा,
अन्यथा “सूत”: पुत्र-पुत्री परिवार “धारा”: पत्नी, “लक्ष्मी”: धन-दौलत आदि तो पापी के घर भी हुआ करता है l
कलयुग में पाप-पुण्य का लेखा-झोखा आने वाले जन्म तक इन्तजार नहीं करता, मनुष्य के द्वारा किये गए कर्मों का फैसला हाथो-हाथ मिलता हैं, इसे संयोग कहें या भगवत कृपा कहें की सदी के महाकुम्भ प्रयागराज पर आज सोमवार 3 फरवरी 2025 वसंत पंचमी के अंतिम पड़ाव वाले ब्रहम मुहरत की वेला में भारत की पवित्र नदियों गंगा यमुना एवं लुप्त सरस्वती के त्रिवेणी संगम पर भाग्यनगर हैदराबाद निवासी समाजसेवी नन्दकिशोर व्यास “बिलाल” संग धर्मपत्नी उमा देवी व्यास, सुपुत्री एवं कँवरसाहब श्रीमती-श्री पूजा-ऋषभ जी ओझा, भांजी एवं भांजी जंवाई श्रीमती-श्री शोभा-सुनील जी व्यास (सर) एवं भांजे जय व्यास, रितेश व्यास संग अमृत स्नान/शाही स्नान का धर्म लाभ साध्वी माँ “करुणागिरी जी” तथा नागा साधु ऋषि मुनियों संतों के सानिध्य में प्राप्त किया, तथा सभी संतों का शुभाशीर्वाद प्राप्त किया …!