!! 🚩श्रुतम्-1581🚩 !!
युगाब्द ५१२६ वि.सं २०८१ फाल्गुन मास शुक्ल पक्ष अष्टमी शुक्रवार 7 मार्च 2025 आज का दिन आप सभी के लिए सुखमय मंगलमय हो…!🕉
Articles: नैरेटिव का मायाजाल एवं सही विमर्श – 1
हम क्या हैं, हम कौन थे और क्या कर सकते हैं…?
ऐसे प्रश्नों के उत्तरों की चाबी किसके पास है…?
अपनी और दूसरों की दृष्टि में हमारी पहचान क्या है…?
जब किसी विषय विशेष पर हमारे मन में ऐसे कुछ प्रश्न उठते हैं या फिर हमसे उस विषय विशेष पर कोई कुछ पूछता है, तो उन उत्तरों का आधार क्या होता है…?
इन सभी प्रश्नों के उत्तर को यदि किसी एक शब्द में व्यक्त करना हो, तो उसे “विमर्श या नैरेटिव (Narrative)” कहा जा सकता है…!
हम वही बोलते हैं और समझते हैं जो हमें बार-बार दिखाया, सुनाया और सिखाया जाता है, वो ही हमारी विश्लेषण करने की शक्ति हमारे चिंतन की सीमा, हमारी जानकारी की परिधि और ज्ञान की गहराई को निर्धारित करता है…!
हमारा चिंतन और मानस (Thinking & Mindset) उस नैरेटिव से बनता है, जो हमारे समक्ष परोसा गया है, “अब वह नैरेटिव सत्य पर आधारित है, अर्धसत्य से प्रेरित है या बिल्कुल झूठा, मिथक है और फर्जी है, यह सब उस नैरेटिव को परोसने वाले और उसकी नीयत (Mentality) पर निर्भर करता है…!”
संक्षेप में कहें तो विमर्श या नैरेटिव एक प्रकार से “जानकारी का प्रबंधन (Knowledge Management)” है या “मानस नियंत्रक (Mindset Controller)” है…!
वर्तमान में देश दुनियाँ में दो प्रकार के नरैटिव्ज चल रहे हैं, पहला- भारत विरोधी, दूसरा- भारत केन्द्रित, जिनकी चर्चा हम विस्तार से प्रस्तुत श्रृंखला में करने वाले हैं…!
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