ARTICLES: बहुत समय पहले की बात है, एक जंगल के पास एक कस्बा बसा हुआ था। उसी कस्बे में एक धोबी रहता था, जो कपड़े धोने और रंगने का काम करता था, उसके आँगन में एक बड़ा-सा हौद (टंकी) था, जिसमें वह कपड़ों को रंगने के लिए रंग घोलकर रखा करता था…!
एक दिन एक भूखा-प्यासा सियार उस कस्बे में खाने की तलाश में भटकते-भटकते धोबी के घर जा पहुँचा, तभी धोबी का कुत्ता भौंकने लगा, डर के मारे सियार इधर-उधर भागने लगा और आँख बंद करके उस रंग भरे हौद में कूद गया, हौद में उस समय नीला रंग घुला हुआ था, सियार का पूरा शरीर रंग में भीग गया और वह सिर से पाँव तक नीला हो गया…!
जब सियार हौद से बाहर निकला और जंगल की ओर भागा, तो उसका रंग देख कर सभी जानवर हैरान रह गए, वह अब साधारण सियार नहीं, बल्कि कोई अनजाना, विचित्र जीव लग रहा था, उसकी चमकदार नीली चमड़ी देखकर जानवरों के मन में डर बैठ गया, कोई समझ नहीं पा रहा था कि यह कैसा प्राणी है…?
शेर नहीं, चीता नहीं, भालू भी नहीं फिर यह है कौन…?
उसी समय सियार के मन में एक चालाकी सूझी, उसने ऊँची आवाज में कहा, “डरो मत, मैं कोई आम जानवर नहीं हूँ” मुझे स्वयं ईश्वर ने इस जंगल में राजा बनाकर भेजा है, अब से तुम सब मेरी प्रजा हो, मैं न्याय करूंगा और तुम्हारा ध्यान रखूंगा…!”
जानवर पहले तो थोड़े हिचकिचाए, लेकिन फिर उन्होंने उसकी बात मान ली, उन्होंने सोचा: यह अनोखा प्राणी शायद सच में कोई देवदूत हो, शेर, हाथी, भालू, बंदर, सभी ने उस नीले सियार को जंगल का राजा मान लिया, सियार अब बड़े ऐशो-आराम से रहने लगा, वह हर दिन सिंहासन पर बैठता, दरबार लगता, जानवर उसकी सेवा करते…!
राजा बनने के बाद उसने अपने ही जैसे अन्य सियारों को जंगल से भगा दिया, वह डरता था कि कहीं उसकी असलियत सामने न आ जाए, उसने अपने पुराने साथियों से नाता तोड़ लिया…!
एक दिन की बात है, जब वह अपने दरबार में आराम से बैठा हुआ था, तभी दूर कहीं से कुछ सियारों की “हुआ-हुआ” करने की आवाज आई, यह आवाज सुनते ही नीले सियार के मन में हलचल मच गई, वह अपनी असली पहचान भूल गया और अपने साथियों की आवाज सुनकर खुद भी जोर-जोर से “हुआ-हुआ” चिल्लाने लगा…!
सारे जानवर हक्के-बक्के रह गए, अब उन्हें समझ आ गया कि यह कोई देवदूत या नया जीव नहीं, बल्कि एक साधारण सियार है जिसने उन्हें धोखा दिया, वे सब बहुत क्रोधित हो गए…!
शेर गरज उठा: “इस धोखेबाज़ ने हमें मूर्ख बनाया…!”
हाथी चिंघाड़ा: “हमसे झूठ बोलकर राजा बना…!”
फिर क्या था, सभी जानवर उस पर टूट पड़े, उन्होंने मिलकर उसकी खूब पिटाई की और उसे जंगल से भगा दिया…!
नीला सियार किसी तरह भागकर फिर उसी जंगल के बाहर गुफा में छिप गया, अब वह समझ चुका था कि झूठ और छल से मिली सत्ता ज्यादा दिन नहीं टिकती…!
नैतिक शिक्षा:
जो लोग धोखा देकर ऊँचा बनने की कोशिश करते हैं, उनका अंत हमेशा बुरा होता है, सच्चाई और ईमानदारी से जीना ही सबसे अच्छा मार्ग है, जब-जब किसी भी समाज में ऐसे नीले रंग के सियार देवदूत बन कर आयेंगे, तब-तब बुद्धिजीवी शेर-हाथी उनकी जी हुजूरी करते ही रहेंगे…!