Friday, June 20, 2025
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पिताजी पर लिखी गई एक राजस्थानी भाषा मे बढीया कविता आप भी पढे…!

!! बाप !!

घोडो बण्यो गडोल्यां चाल्यो,
ले बेटा नें मोरां पर,
गोडा घिस घिस घणों कमायो,
खरच कर दियो छोरां पर,

खुदरे तो फाटी अंगरखी,
सूट दिराया बेटा नें,
खुद चपलां सुं काम चलायो,
बूंट दिराया बेटा नें,

घणों लडायो घणों पढायो,
पछै चढायो घोडी पर,
पांच पांच सौ रा नोट अंवारया,
बेटा बहू री जोडी पर,

थोडा दिन तो स्याणां रिया,
पछै शुरू खटपट होगी,
सास भऊ में अणबणं होगी,
किचकिच अर झिकझिक होगी,

टूट गयो विश्वास बाप रो,
बेटो रण में कूद गयो,
कात्यो सूत कपूत निवडग्यो,
मूल गियो अर सूद गयो,

छाती रे चेपर राख्या बे,
मूंग दले है छाती पर,
तूं तूं पर उतर आया अर,
केवणं लाग्या पांती कर,

बेटी गई पराया घर में,
बेटो भी न्यारो होग्यो,
बुढापे आंख्यां सुं ओझल,
आंख्यां रो तारो होग्यो,

झर झर आंसू माँ रोवे है,
बाप रोवे है घुटघुट कर,
सेवा रा सपना टूट्या अर,
सुख री आशा गई बिखर,

खुदरो घर खावणं नें दौडे,
सन्नाटो सो गयो पसर,
कुणं समझे उणं माँ रा दु:ख नें,
बांझ रिवी बेटा जणकर,

दो पाटां बिच बाप पिसीजे,
छाती ने करडी कर कर,
आँसू पी पी दिन काटे है,
कियां कटैली आ ऊमर,

खुदरो खून परायो होग्यो,
खुदरी पीड सुणावे किणनें,
मांय रोवे अर मुंडे मुलके,
खुदरो दरद बतावे किणंनें,

तिवाडी ढलती ऊमर में,
कमर झुकी अर गोडा थाक्या,
ऐडा दिन देखणं री खातर,
राम जींवता क्यांनें राख्या,

बाप बण्या जद घणां फूलीज्या
थाली बाजी ढोल घुराया
मांचा में मा बाप पड्या जद
बेटा देखणं नें नहीं आया
🙏

इस कविता से आपके मन में सद्भावना प्रकट हो तो कृपया इसे अन्य लोगों के पास भी भेजे…!

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