सैकड़ों लोग सेलफोन के बिना घंटों तक पार्क में बैठे रहते हैं, किताबें पढ़ते रहते हैं, यह कोई 2000 से पहले का नजारा नहीं है, यह दिसंबर 2024 का चलचित्र है और यह जगह भारत की वित्तीय राजधानी मुंबई हैं जिसे लोग मायानगरी भी कहते हैं, यह बात भले ही किसी को आश्चर्यजनक लगती हो, लेकिन यही सच हैं साहब…!
स्थान हैं : टाटा गार्डन, दक्षिण मुंबई

इस स्थल को कल्पना लोक के अनुसार मूर्त रूप देने का काम किया हैं यशस्वी शांतनु नायडू और माननीय भारत के महान उद्यमी स्वर्गीय श्री रतन टाटा…!
👉०१:- केवल पुस्तकों की अनुमति है…!
👉०२:- किसी को भी मोबाइल फोन ले जाने कि अनुमति नहीं हैं…!
👉०३:- किसी भी तरह का कोई शुल्क नहीं हैं, केवल पंजीकरण करवाना पड़ता है…!
इसका एकमात्र ☝ उद्देश्य “आज के दौर में युवाओं के बीच में किताबें 📕📔पढ़ने की आदत को पुनर्जीवित करना हैं…!”
मरूधर में धाकड़ी हाल मुकाम खरगोन म.प्र. की कलम ✒ से कड़वी सच्चाई बंया…,
सच बात कही जाए तो आज इस मोबाइल के चूचाड़े ने लगभग हर आदमी के चित्त की स्थिरता (🧘🏻♂)को खत्म कर दिया है, जहां तक मेरा अनुभव यह कहता है कि एक नवजात 👶🏻 शिशु की मां बार-बार जिस तरह से नवजात शिशु की नैपी को चेक करती है कि कहीं बालक ने पेशाब तो नहीं कर दी, बस यही स्थिति आज प्रत्येक मोबाइल धारक की बन चुकी है, यह वर्तमान कि वास्तविक सच्चाई है, रहा सवाल छोटे बच्चों की चित्त की स्थिरता तो बिल्कुल खत्म हो गई है, इसके दोषी स्वयं माता-पिता है, यदि वे स्वयं संयम से रहेंगे, बच्चों के सामने मोबाइल कम चलाएंगे और उन्हें समय देंगे, तो निश्चित बच्चे स्वाध्याय की ओर अग्रसर होगें…!
सुरेश कुमार व्यास (धाकड़ी वाला)
खरगोन (म.प्र)