Thursday, June 19, 2025
spot_imgspot_imgspot_imgspot_img

Top 5 This Week

spot_imgspot_imgspot_img

Related Posts

“स्वार्थ और संवेदना”…,

ARTICLES: 🌳 “स्वार्थ और संवेदना” 🌳

एक ब्राह्मण को विवाह के बहुत सालों बाद पुत्र हुआ, लेकिन कुछ वर्षों बाद बालक की असमय मृत्यु हो गई…!
.
ब्राह्मण शव लेकर श्मशान पहुंचा, वह मोहवश उसे दफना नहीं पा रहा था, उसे पुत्र प्राप्ति के लिए किए जप-तप और पुत्र का जन्मोत्सव याद आ रहा था…!
.
श्मशान में एक गिद्ध और एक सियार रहते थे, दोनों शव देखकर बड़े खुश हुए, दोनों ने प्रचलित व्यवस्था बना रखी थी, दिन में सियार मांस नहीं खाएगा और रात में गिद्ध…!
.
सियार ने सोचा यदि ब्राह्मण दिन में ही शव रखकर चला गया, तो उस पर गिद्ध का अधिकार होगा, इसलिए क्यों न अंधेरा होने तक ब्राह्मण को बातों में फंसाकर रखा जाए…!
.
वहीं गिद्ध ताक में था, कि शव के साथ आए कुटुंब के लोग जल्द से जल्द जाएं और वह उसे खा सके…!
.
गिद्ध ब्राह्मण के पास गया और उससे वैराग्य की बातें शुरू की…!
.
गिद्ध ने कहा: मनुष्यों, आपके दु:ख का कारण यही मोहमाया ही है, संसार में आने से पहले हर प्राणी का आयु तय हो जाती है, संयोग और वियोग प्रकृति के नियम हैं, आप अपने पुत्र को वापस नहीं ला सकते, इसलिए शोक त्यागकर प्रस्थान करें, संध्या होने वाली है, संध्याकाल में श्मशान प्राणियों के लिए भयदायक होता है, इसलिए शीघ्र प्रस्थान करना उचित है…!
.
गिद्ध की बातें ब्राह्मण के साथ आए रिश्तेदारों को बहुत प्रिय लगीं. वे ब्राह्मण से बोले: बालक के जीवित होने की आशा नहीं है, इसलिए यहां रूकने का क्या लाभ…?
.
सियार सब सुन रहा था, उसे गिद्ध की चाल सफल होती दिखी, तो भागकर ब्राह्मण के पास आया…!

सियार कहने लगा: बड़े निर्दयी हो, जिससे प्रेम करते थे, उसके मृत देह के साथ थोड़ा वक्त नहीं बिता सकते, फिर कभी इसका मुख नहीं देख पाओगे, कम से कम संध्या तक रूक कर जी भर के देख लो…!
.
उन्हें रोके रखने के लिए सियार ने नीति की बातें छेड़ दीं: जो रोगी हो, जिस पर अभियोग लगा हो, और जो श्मशान की ओर जा रहा हो, उसे बंधु-बांधवों के सहारे की जरूरत होती है…!
.
सियार की बातों से परिजनों को कुछ तसल्ली हुई और उन्होंने तुरंत वापस लौटने का विचार छोड़ा…!
.
अब गिद्ध को परेशानी होने लगी, उसने कहना शुरू किया, तुम ज्ञानी होने के बावजूद एक कपटी सियार की बातों में आ गए, एक दिन हर प्राणी की यही दशा होनी है, शोक त्याग
कर अपने-अपने घर को जाओ, जो बना है वह नष्ट होकर रहता है, तुम्हारा शोक मृतक को दूसरे लोक में कष्ट देगा, जो मृत्यु के अधीन हो चुका, क्यों रोकर उसे व्यर्थ कष्ट देते हो…?
.
लोग चलने को हुए तो सियार फिर शुरू हो गया: यह बालक जीवित होता तो क्या तुम्हारा वंश न बढाता…? कुल का सूर्य अस्त हुआ है, कम से कम सूर्यास्त तक तो रुको…!
.
अब गिद्ध को चिंता हुई, गिद्ध ने कहा: मेरी आयु सौ वर्ष की है, मैंने आज तक किसी को जीवित होते नहीं देखा, तुम्हें शीघ्र जाकर इसके मोक्ष का कार्य आरंभ करना चाहिए…!
.
सियार ने कहना शुरू किया: जब तक सूर्य आकाश में विराजमान हैं, दैवीय चमत्कार हो सकते हैं, रात्रि में आसुरी शक्तियां प्रबल होती हैं, मेरा सुझाव है थोड़ी प्रतीक्षा कर लेनी
चाहिए…!
.
सियार और गिद्ध की चालाकी में फंसा ब्राह्मण परिवार तय नहीं कर पा रहा था कि क्या करना चाहिए, अंततः पिता ने बेटे के सिर को गोद में रखा और जोर-जोर से विलाप करने लगा, उसके विलाप से श्मशान कांपने लगा…!
.
तभी संध्या भ्रमण पर निकले महादेव-पार्वती वंहा पहुंचे, पार्वती जी ने बिलखते परिजनों को देखा तो दु:खी हो गईं, उन्होंने महादेव से बालक को जीवित करने का अनुरोध किया, महादेव प्रकट हुए और उन्होंने बालक को सौ वर्ष की आयु दे दी, गिद्ध और सियार दोनों ठगे रह गए…!
.
गिद्ध और सियार के लिए आकाशवाणी हुई…,
तुमने प्राणियों को उपदेश तो दिया लेकिन उसमें सांत्वना की बजाय तुम्हारा स्वार्थ निहीत था, इसलिए तुम्हें इस निकृष्ट योनि से शीघ्र मुक्ति नहीं मिलेगी…!

दूसरों के कष्ट पर सच्चे मन से शोक करना चाहिए, शोक का आडंबर करके प्रकट की गई संवेदना से गिद्ध और सियार की गति प्राप्त होती है…!

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Popular Articles